बात 1974 की है, जनवरी का महीना था, रैंणी गांव के वासियों को पता चला कि उनके इलाके से गुजरने वाली सड़क-निर्माण के लिए 2451 पेड़ों का छपान (काटने हेतु चुने गए पेड़) हुआ है. पेड़ों को अपना भाई-बहन समझने वाले गांववासियों में इस खबर से हड़कंप मच गया.
अलकनंदा की प्रलयकारी बाढ़ (1970) उनकी…