‘न मैं राजनेता हूं, न ही राजनीति का आंदोलनकारी. मेरा ध्यान बस आत्मा पर होता है. उसके ठीक होने से सबकुछ ठीक हो जाता है. कलकत्ता के लोगों को खबरदार कर दो कि वे मेरे लिखे-बोले का कभी भी सियासी मतलब न निकालें.’
विवेकानंद ने 27 सितंबर 1894 को अमेरिकी से लिखी चिट्ठी में यह बात अपने समर्थक और वेदांत के उपदेशक अलसिंग पेरुमल को लिखी.
जीवित रहते विवेकानंद को…