2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
कितनी देर से वार्डरोब के सामने खड़ी थी अरुणिमा। कितने सारे खाली हैंगर लटके झूल रहे थे। उसके कपड़े अभी भी तह किए हुए नीचे ही बिछे हैं। वार्डरोब में अब इतनी जगह है कि वह आराम से अपने कपड़े हैंगर पर टांग सकती है। लेकिन न जाने क्यों मन ही नहीं कर रहा उसका…
क्या कोई उम्मीद अभी भी बाकी है उसके मन में? उसके जाने के बाद वार्डरोब कितना…