‘उषा हमने तुम्हाए लिए गुटका छोड़ दिया. तुमने बोला था कि बाबू कमलापसंद छोड़ दोगे तो चुम्मी लेने देओगी. महीना बीत गया. तलब इतनी होती है कि हमें चक्कर अलग आते हैं. कम से कम चुम्मी तो ले लेने देओ’, राजेश ने उषा के चेहरे को हथेली के बीच किताब के तरह पलटते हुए, कातर आवाज में, दुहाई…