इसी गांव की पगडंडियों पर ‘नमक का दरोगा’ रचा गया. यहां की आबोहवा में घुला है ‘मंत्र’ और इसी ‘कर्मभूमि’ पर ‘गोदान’ की परिकल्पना साकार हुई. यहां के खेत खलिहान, इमारत और लोग. सबकी एक ही पहचान है, सभी अमर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के रिश्ते से बुने बसे हैं.
अद्भुत गांव है लमही…