
ऊं श्री अनंत हरि नारायण
मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् गरुणध्वज:
मंगलम् पुंडरीकाक्ष: मंगलाय तनो हरि:
इसी श्लोक के साथ पंडित जसराज जी किसी भी राग की शुरुआत करते हैं. सबसे पहले ईश्वर का नमन और फिर सुरों की अनहद यात्रा. पंडित जसराज के मुंह से राग भैरव में ‘मेरो अल्लाह…