आज आवश्यकता डॉ. महेन्द्र मधुप जैसी जुनूनी लोगों की है जो प्रगतिशील किसानों को पहचान दिलाने में जुटे हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना जैसी महामारी के दौर में जब कुछ थम के रह गया है तब सबसे बड़ा सहारा खेती किसानी ही रही है।
पिछले दिनों वर्चुअल प्लेटफार्म पर प्रगतिशील किसानों और यूके के काश्तकारों के बीच अनुभवों को साझा करने की पहल इस…