ब्रज की रज यानी वो मिट्टी, जिसमें श्रीकृष्ण खेले। जिसे खाकर मां यशोदा को मुंह में ही ब्रह्मांड दिखा दिया। इसी मिट्टी में गोसेवा की, गोपियों संग लीलाएं कीं।
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लोग इस रज को वैसे ही महत्व देते हैं, जैसे भगवान को। मान्यता है कि यहां की रज जिसके शरीर को छू जाए, उसका उद्धार हो जाता है।
पहले लोग ब्रज आते थे, छोटी-छोटी थैलियों में मिट्टी रखकर घर ले जाते…