बाजारवाद की बुनियाद पर टिका जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल क्या दलित और अल्पसंख्यक विरोधियों का जमावड़ा नहीं है?
संघ विचारक मनमोहन वैद्य और दत्तात्रेय होसबोले के आरक्षण संबंधी बयानों और वक्तव्यों पर भड़के बवाल को लेकर इस फेस्टिवल में जो कुछ हुआ, वह पहली बार नहीं है. दलित और अल्पसंख्यकों को पहले भी इस साहित्य समारोह में निशाना बनाया जाता रहा है.
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