पहली बार वेद प्रकाश शर्मा की वर्दी वाला गुंडा पढ़ी थी तो बहुत छोटा था. उन दिनों घर में छोटे बच्चों का नॉवेल पढ़ना बुरा माना जाता था. सो गांव में दालान के कोने में छुपकर पढ़ा था ये नॉवेल. तब इसे छपे कई साल बीत चुके थे लेकिन इसका नाम हर कोई जानता था. और हर कोई जानता था इसके लेखक का नाम- वेद प्रकाश शर्मा.
कहते हैं कि 1993 में वर्दी वाला गुंडा की पहले ही दिन…