रात के ढाई बज रहे थे. नींद कहीं से भी अपने पैर लेकर हमारी ओर नहीं बढ़ रही थी. परेशान रहना हमारी आदत में शुमार हो गया था. ऊब अपना स्वाद लेकर हमारी ओर बढ़ी, हमने एक-दूसरे को देखा और फिर कुछ कहने की जरूरत नहीं रही. हम उठे और बाहर निकल आए.
मुंबई ही इकलौता ऐसा शहर है जो आपको रात के किसी…