काजी नजरुल इस्लाम, आजादी के दौर में सामाजिक भेदभाव और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ सबसे मुखर लोगों में से एक थे. पर दुर्भाग्य ही था कि उन्हें अपनी जिंदगी के आखिरी तीन दशक शांति में गुजारने पड़े.
1942 में जब नजरुल बस 43 साल के थे और अपनी क्रिएटिविटी के चरम पर थे, उन्हें एक रहस्यमय…