इस रस्म अदायगी उद्देश्य से भक्त नरसी को भात भरने के लिए सूचित किया गया। लेेकिन. नरसी तो संत थे। उनके पास भात में देने को कुछ नहीं था। उन्होंने अपने भाई-बंधुओं से मदद की गुहार लगाई। लेकिन, जैसा इस संसार में अक्सर होता है। मदद तो दूर, कोई साथ चलने को भी तैयार नहीं हुआ। आखिर क्या करते नरसी। सो टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर खुद ही लड़की के ससुराल के लिए…