धोखा मत खाइएगा ये धर्मवीर भारती की कालजयी कविता ‘कनुप्रिया’ की पात्र नहीं बल्कि भगवतीचरण वर्मा की बहू की दास्तान है.
विडंबना देखिये, भगवतीचरण वर्मा का पहला उपन्यास था ‘पतन’ (1928) और आखिरी उपन्यास था ‘सबहीं नचावत राम गोसाईं’ (1970). ऐसा लगता है जैसे इन दो उपन्यासों के नाम में…