हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ ने न जाने कितने झरोखों में झांका…न जाने कितने तवों का सामना किया…न जाने कैसे-कैसे आरोप झेले…पर इस बार तो हद हो गई…बिहार के चूहों ने तो ‘मधुशाला’ की समग्रता को ही कुतर दिया. बिहारी चूहों का औचक चरित्र परिवर्तन बच्चन साहब के समझ के दायरे से…