दूधनाथ सिंह का जाना हिंदी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है. दूधनाथ सिंह न सिर्फ एक कथाकार थे बल्कि एक सजग आलोचक और अध्यापक थे. आजादी के बाद आजादी से जुड़ी इच्छाओं और अपेक्षाओं को कहानियों और उपन्यासों में जगह मिली. आजादी के बाद के भारत की तस्वीर नई कहानी के दौर…