
उर्दू शायरी में फैज अहमद फैज का मुकाम बहुत बड़ा है। 1943 में उनकी पहली किताब आई थी- ‘नक्श-ए-फरयादी’. इस किताब में एक नज्म थी- ‘मुझ से पहली-सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग’. पहले इस नज्म को पढ़ते हैं और फिर इसे सुनते भी हैं.
मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग
मैं ने समझा था कि…