20 सितंबर 2013 को छः बजकर बयालीस मिनट पर शाम के झुटपुटे के बीच, गुजरात में एक महत्वाकांक्षी आदमी भारत का प्रधानमंत्री बनने का ‘अति-महत्वाकांक्षी सपना’ देख रहा था.
ठीक इसी समय दिल्ली की एक बड़ी (नीरस) मल्टीनैशनल कंपनी में, ओवरटाइम पर अपने बॉस से चिढ़ा बैठा, सत्ताईस साल का एक…