इस सीरीज के पहले भाग में आपने ‘लुगदी साहित्य का जादुई संसार’ पढ़ा था. यहां इस सीरीज का दूसरा हिस्सा दिया जा रहा है.
1960 के दौर में लुगदी साहित्य अपराध, जासूसी और तिलिस्म के चंगुल से बाहर निकलकर रोमांस, सामाजिक मुद्दों और भावनाओं के नए बाजार को फतह करने निकल पड़ा. इस दौर के सितारे थे गुलशन नंदा और रानू जैसे लेखक.
रानू और नंदा दोनों ने सामाजिक…