समकालीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत सिलसिलेवार ढंग से जो ‘संवैधानिक ड्रामा’ रचाया जा रहा या चल रहा है, इसके लिए सिर्फ और सिर्फ ‘हमारी संसद’ जिम्मेदार है, क्योंकि जनहित में प्रभावशाली कानून बनाने का जिम्मा उसी के ऊपर है। यदि उसने इस मामले में अबतक किसी तरह की कोई लापरवाही बरती है तो यह जन-बहस का मुद्दा है। इसलिए कुछ सुलगता हुआ सवाल यहां पर…