जब अस्पृश्यता का संकट समाज को खाये जा रहा था, तब संत स्वरूप माधव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरुजी’ ने देश के प्रमुख संत-महात्माओं से आग्रह किया कि वे सभी एक मंच पर आकर हिन्दू समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देवें।
यह कितनी सुखद बात है कि समाज के विभिन्न वर्गों में आत्मीयता एवं समरसता के भाव को बढ़ाने के लिए साधु-संत ‘स्नेह यात्रा’ पर निकल पड़े हैं।…