उनकी नियुक्ति 5/10 बलूच रेजिमेंट में थी। जहां उन्होंने देश की आजादी तक सेवाएं दी। बंटवारे के वक्त उन्हें पाकिस्तान की सेना के प्रमुख के तौर पर नियुक्ति वाला ऑफर मिला। लेकिन एक सच्चे देशभक्त की तरह उन्होंने ये ऑफर ठुकरा दिया। इसके साथ ही उन्होंने उसी मिट्टी की सेवा करने का फैसला किया जहां जन्म लिया था। ये लाइनें उस कब्र पर लिखीं हैं जहां नौशेरा…