मुस्लिम नेताओं ने इस अधिसूचना का विरोध करते हुए कहा कि यह WHO के दिशनिर्देशों का उल्लंघन है क्योंकि उसने कहा है कि मृतक को दफनाया और दाह संस्कार दोनों किया जा सकता है। कई मानवधिकार संगठनों ने अधिसूचना में बदलाव करने और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आस्था का सम्मान करने की अपील की थी।