एक ऐसे समय में जब विकृतियों और विद्रूपताओं का बोल-बाला हो. समाज दो फाड़ होने के कगार पर आ खड़ा हुआ हो, ऐसे समय में सदा ही एक ऐसी आवाज की जरूरत होती है जिसे सुनकर बंद आंखें खुल जाएं. शब्द तीर की तरह चुभें और दर्द भी हो और ज्ञान चक्षु खुलने की प्रसन्नता में दिल खुशी से नाच भी…