![रैदास जयंती: काशी के घाट पर कैसे तुलसी और रैदास विरोधाभासी हो जाते हैं रैदास जयंती: काशी के घाट पर कैसे तुलसी और रैदास विरोधाभासी हो जाते हैं](https://static.hindi.firstpost.com/static-hindi-firstpost/web_images/grey.gif)
काशी, वाराणसी यानि बनारस. इस बनारस और इसके गंगा तट की महत्ता बहुत है. किसी ने कहा कि मरते गंगाजल मिले जियते लंगड़ा आम, काशी कबहुं न छोड़िए विश्वनाथ का धाम. किसी ने कहा कि वो और किसी के नहीं, बस मां गंगा के बुलावे पर बनारस आते हैं. काशी के अस्सी घाट वाले तन्नी गुरू बहुत…